- आईसीएआर ने ‘कालानमक’ चावल की दो नई किस्मों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
- ‘कालानमक’ चावल की एक किस्म है, जिसमें काली भूसी और एक शक्तिशाली सुगंध होती है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने उत्तर प्रदेश में पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 नामक दो नई किस्मों का परीक्षण किया।
- ये किस्में दुगनी उपज देती हैं। ये आयरन और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और अल्जाइमर को रोकने में मदद करते हैं।
- पारंपरिक ‘कालानमक’ चावल भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रणाली के तहत संरक्षित है। भगवान बुद्ध ने श्रावस्ती के लोगों को ‘कालानमक’ धान उपहार में दिया था ताकि लोग इसकी सुगंध से उन्हें याद करें।
- यह उत्तरपूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के 11 जिलों और नेपाल में उगाया जाता है।
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