प्रश्न-
1. पायरोमीटर का प्रयोग करते हैं
(a) गहराई नापने में
(b) आद्र्रता नापने में
(c) तापक्रम नापने में
(d) ऊँचाई नापने में
2. लोहे में जंग को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है─
(a) जिंक (b) मैग्नीशियम
(c) क्लोरीन (d) ताँबा
3. कीटों के वैज्ञानिक अध्ययन को कहते हैं-
(a) इक्थियोलॉजी (b) एंटोमोलॉजी
(c) पैरासिटोलॉजी (d) मैलेकोलॉजी
4. खुला रक्त परिसंचरण पाया जाता है-
(a) केचुआ (b) सरीसृप
(म्) काकरोच (d) टोड
5. सेल्सियस स्केल पर मानव शरीर का सामान्य तापमान होगा-
(a) 31°C (b) 98.4°C
(c) 36.9°C (d) 31.5°C
6. डी.एन.ए. में मौजूद शर्करा होती है-
(a) ग्लूको़ज
(b) फ्रक्टो़ज
(c) डिऑक्सीराइबोस
(d) राइबोस
7. ‘राजसूय’ से सम्बन्धित अनुष्ठानों का वर्णन है :
(a) ऋग्वेद में (b) यजुर्वेद में
(c) सामवेद में (d) अथर्ववेद में
8. वैदिक काल में ‘ बलि’ शब्द का क्या अर्थ है?
(a) बलिदान
(b) बैल
(c) आनुवांशिक
(d) प्रजा द्वारा शासक को दी गई भेंट
9. बोधगया में महात्मा बुद्ध ने दो बनजारों को उपदेश देकर अपना उपासक बना लिया था। निम्नलिखित में से वे दो बनजारे कौन थे?
(a) मल्लिक और तपस्सु
(b) मल्लिक और देवदास
(c) तपस्सु और शूलक
(d) शूलक और देवदास
10. खानकाह क्या था -
(a) सूफियों का निवास स्थान
(b) र्धािमक संस्था
(c) पूजा स्थल
(d) उक्त में कोई नहीं
उत्तर-
1. (C)
पायरोमीटर - तापक्रम मापने में
हाइग्रोमीटर - आद्र्रता नापने में
फेदोमीटर - गहराई नापने में
सेक्सटैन्ट - ऊँचाई नापने में
2. (A) आद्र्र वायु के सम्पर्क में आने से लोहे के ऊपर लाल रंग की एक ढीली परत जम जाती है जिसे जंग कहा जाता है। इसे रोकने के लिए लोहे के ऊपर जस्ते की पर्त चढ़ायी जाती है जिसे गैल्वेनाइजेशन कहा जाता है जिससे लोहे का सम्पर्क ऑक्सीजन से नहीं हो पाता और उसमें जंग नहीं लगती।
3. (B) एन्टोमोलॉजी जन्तु विज्ञान की वह शाखा है जिसमें कीट पतंगों का व्यापक अध्ययन किया जाता है। इक्थियोलॉजी में मछलियों का अध्ययन किया जाता है। पैरासिटोलॉजी में परजीवियों और उनके पोषदों के बीच के अन्त:सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है।
4. (C) काकरोच में खुला परिसंचरण तंत्र पाया जाता है, इसे लाकुनर प्रकार का परिसंचरण तन्त्र भी कहा जाता है। अन्तरांगों के चारों ओर सीलोम के स्थान पर रुधिर पात्रों का खुला परिसंचरण तंत्र हीमोसील नामक बड़ी गुहा।
5. (C) सेल्सियस स्केल पर मानव शरीर का सामान्य तापक्रम 36.9°C होता है, जबकि फारेनहाइट स्केल पर मानव शरीर का सामान्य तापक्रम 98.6°C तापमान होता है।
6. (C) डी.एन.ए. जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या DNA कहते हैं। इसमें आनुवांशिक कूट संबद्ध रहता है। DNA अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है। DNA का एक अणु चार अलग-अलग वस्तुओं से बना है, जिन्हें न्यूक्लियोटाइड कहते है। इन न्यूक्लियोटाइडो से युक्त डिऑक्सीराइबोस शर्करा भी पायी जाती है। इन न्यूक्ल्यिोटाइडो से एक फास्फेट अणु भी जुड़ा रहता है।
7. (B) यजुष’ का शाब्दिक अर्थ है-यज्ञ, पूजा, श्राद्ध, आदर आदि। इस वेद के मन्त्रों का पाठ यज्ञ में अध्वर्यु नामक पुरोहित वर्ग करता है। इसकी वाजसनेयी संहिता में 40 अध्याय है। प्रारम्भ के 25 अध्याय विषय वस्तु की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। प्रथम और द्वितीय अध्याय में ‘दर्श’ एवं ‘पौर्णमास’ यज्ञों के मन्त्र संकलित हैं। तृतीय अध्याय में दैनिक ‘अग्निहोत्र’ तथा ‘चातुर्मास्य’ यज्ञ के मंत्रों का संग्रह है। चतुर्थ से अष्टम अध्याय पर्यन्त ‘अग्निष्टोमादि’ सोमयज्ञों एवं पशुबलि से सम्बन्धित मन्त्र प्राप्त होते हैं। कतिपय एक दिन में समाप्त होने वाले यज्ञ भी सोमयज्ञों की परम्परा में प्राप्त है। इनमें वाजपेय यज्ञ सर्वप्रधान है। सोमयज्ञों की ही परम्परा में राजाओं द्वारा सम्पाद्य राजसूय यज्ञ भी है। वाजपेय एवं राजसूय यज्ञों की प्रार्थनाएं वाजसनेयी संहिता के नवम तथा दशम अध्याय में की गई है।
ध्यातव्य है कि ऋग्वैदिक धर्म में देवताओं की कृपा या उनसे वरदान प्राप्त करने के लिए यज्ञ करके देवताओं की पूजा की जाती थी। यज्ञों में दी जाने वाली बलि दूध, अन्न, घी, मांस तथा सोम की होती थी। ऋग्वेद में केवल सोम यज्ञ का ही विशद उल्लेख है।
8. (D) वैदिक काल में ‘बलि’ शब्द का अर्थ प्रजा द्वारा शासक को दी गई भेंट से है।
9. (A) बोध-प्राप्ति का स्थान होने के कारण गया `बोध गया' के नाम से जाना गया तथा जिस वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ वह `बोधिवृक्ष' कहा गया। यहीं उन्होंने विभिन्न कष्टों और दु:खों से पीडि़त जनता को ज्ञान और सत्य की शिक्षा देने का निश्चय किया। गया में उन्होंने तपस्सु और मल्लिक नामक निम्न जातीय दो बनजारों को उपदेश देकर अपना अनुयायी बना लिया।
10. (a) खानकाह सूफियों का निवास स्थान था यहाँ का वातावरण बहुत ही उदार था। यहाँ के कीर्तन में हिन्दू भी सम्मिलित होते थे खानकाह की दिनचर्या पीर पर ही निर्भर थी ऐसी स्थिति में वे ही सिलसिलों के संस्थापक होते थे या फिर उत्तराधिकारी नियुक्त किये जाते थे।
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