प्रश्न-
1. ताम्राश्म काल में महाराष्ट्र के लोग मृतकों के शरीर को फर्श के नीचे किस तरह रखकर दफनाते थे?
(a) उत्तर से दक्षिण की ओर
(b) पूर्व से पश्चिम की ओर
(c) दक्षिण से उत्तर की ओर
(d) पश्चिम से पूर्व की ओर
2. निम्नलिखित में से कौन-सा/से लक्षण सिन्धु सभ्यता के लोगों का सही चित्रण करता है/करते हैं?
1. उनके विशाल महल और मंदिर होते थे।
2. वे देवियों और देवताओं, दोनों की पूजा करते थे।
3. वे युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे गये रथों का प्रयोग करते थे।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही कथन/कथनों को चुनिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त कथनों में से कोई भी सही नहीं है
3. निम्नलिखित में से किस नदी को ऋग्वेद में ‘नदीत्तम’ कहा गया है?
(a) झेलम (b) रावी
(c) ब्यास (d) सरस्वती
4. सोलह महाजनपदों का उल्लेख है–
(a) महाभारत में (b) रामायण में
(c) अंगुत्तर निकाय में (d) ललित विस्तार में
5. बुद्ध के उपदेश किससे सम्बन्धित हैं─
(a) आत्मा सम्बन्धी विवाद
(b) ब्रह्मचर्य
(c) धार्मिक कर्मकाण्ड
(d) आचरण की शुद्धता व पवित्रता
6. कथन (a) : अशोक ने किंलग को मौर्य साम्राज्य में जोड़ लिया था।
कारण (R) : किंलग दक्षिण भारत को आने वाले स्थलीय एवं समुद्री मार्गों को नियंत्रित करता था।
कूट :
(a) A और R दोनों सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है
(b) A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही स्पष्टीकरण नहीं है
(c) A सही है, परन्तु R गलत है
(d) A गलत है, परन्तु R सही है
7. निम्नलिखित में से कौनसा/से सूर्य मंदिरों के लिए विख्यात है/हैं?
1. अरसवल्ली 2. अमरकंटक
3. ओंकारेश्वर
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए–
(a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3
8. दिल्ली का प्रथम मुस्लिम शासक कौन था?
(a) कुतुबुद्दीन ऐबक (b) इल्तुतमिश
(c) रजिया (d) बलबन
9. मुहम्मद तुगलक ने `दीवाने कोही' नामक एक नये विभाग का सृजन किया, इसका मुख्य कार्य था
(a) परती भूमि को कृषि योग्य बनाना
(b) भू-राजस्व का बकाया संग्रह करना
(c) उद्दण्ड सरदारों को दण्डित करना
(d) राजस्व अधिकारियों का पर्यवेक्षण करना
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए–
जैन-उल-आबिदीन द्वारा पूरी की गई कश्मीर की जामा मस्जिद की प्रभावकारी विशेषता में शामिल है/हैं
1. बुर्ज
2. बौद्ध पगोडाओं से समानता
3. फारसी शैली
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं/है?
(a) केवल 1 (b) 1, 2 और 3
(c) 1 और 3 (d) 2 और 3
उत्तर-
1. (A): भारत में सिन्ध क्षेत्र के बाहर अनेक विकसित ग्रामीण संस्कृतियों के दर्शन होते हैं। इन्हे ताम्र – पाषाणिक कहा गया है क्योंकि इन संस्कृतियों के लोग पत्थर के साथ–साथ तांबे की वस्तुओं का प्रयोग करते थे। ताम्र पाषाणिक संस्कृति के सबसे अधिक स्थल पश्चिमी महाराष्ट्र में मिलते है। गोदावरी की सहायक प्रवरा नदी के बायें तट पर स्थित जोर्वे इसका प्रतिनिधि स्थल है अत: इसे जोर्वे संस्कृति भी कहते हैं। इसकी सामान्य तिथि ई.पू. 14000 से 1000 के बीच है। यहाँ की एक प्रमुख विशेषता यह है कि बहुत सारे शवाधान कलश में किये गये हैं। ये कलश घरों के फर्श के नीचे उत्तर-दक्षिण दिशा में रखे गये हैं।
2. (B): सिन्धु सभ्यता एक विकसित नगरीय सभ्यता थी। सिन्धु सभ्यता के अन्तर्गत विशाल दुर्ग एवं भवन बनाए गये थे। मन्दिर के स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिले है लेकिन धार्मिक स्थान प्राप्त हुए है। इस सभ्यता में मातृ पूजा के साथ-साथ योगी शिव एवं प्रकृति की पूजा विद्यमान थी। सिन्धु सभ्यता में रथ के साक्ष्य मिले है परन्तु घोड़े का स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला हैं।
3. (D): वैदिक संहिताओं में कुल ३१ नदियों का उल्लेख मिलता है। जिसमें से 25 नदियों का उल्लेख अकेले ऋग्वेद में हुआ है। ऋग्वेद के नदी सूक्त में सिन्धु नदी का सर्वाधिक बार उल्लेख है। परन्तु ऋग्वैदिक आर्यों की सबसे पवित्र नदी सरस्वती थी। इसे नदीत्तमा अर्थात् नदियों में प्रमुख कहा गया है।
4. (C) व्याख्या : छठीं शताब्दी ईसा पूर्व छोटे-छोटे जनपदों को मिलाकर महाजनपदों के निर्माण का समय था, इसका उल्लेख हमें बौद्ध व जैन साहित्य में मिलता है। बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में इन १६ महाजनपदों का वर्णन इस प्रकार है– अंग, मगध, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, चेदि, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, शूरसेन, अश्मक, अवंति, गान्धार, कम्बोज। जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में इसका वर्णन इस प्रकार है– अंग, बंग, मगध, मलय, मालव, अच्छ, वच्छ, कच्छ, पाढ्य, लाढ़, वज्जि, मोलि, काशी, कोशल, अवध, सम्भुतर। अत: इन दोनों सूचियों में अंग, मगध, वत्स, वज्जि, काशी और कोशल समान हैं। इन सोलह महाजनपदों में अस्मक, अवंति, गंधार, कम्बोज, चेदि व मत्स्य को छोड़कर शेष १० महाजनपद गंगा घाटी में स्थित थे।
5. (D): बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से सम्बन्धित है। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिये। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊँच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया।
6. (A): किंलग विजय मगध तथा भारतवर्ष के इतिहास में एक सीमा चिह्न है। यह विजय तथा साम्राज्यवादी विस्तार की उस नीति का अंत करती है, जिसका आरम्भ बिम्बिसार ने अंग देश पर विजय प्राप्त करके किया था। अशोक ने अपने अभिषेक के आठवें वर्ष (261 ई. पू.) कलिंग पर चढ़ाई की थी। अशोक के 13वें वृहद् शिलालेख में कलिंग युद्ध और वहां के विनाश का वर्णन है। किंलग उस समय एक प्रबल एवं शक्तिशाली राज्य था, जो अशोक के समय एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित था। प्राचीन भारत में किंलग का महत्त्व भौगोलिक एवं सामुद्रिक मार्ग की दृष्टि से अत्यधिक था। इसी कारण अशोक के किंलग अभियान का उद्देश्य स्थलीय एवं समुद्री व्यापार मार्ग पर अधिकार करना था। उसने किंलग को विजित कर अपने साम्राज्य में मिला लिया था।
7. (A): आन्ध्र प्रदेश के अरसवल्ली में कलिंग नरेश देवेन्द्र वर्मा द्वारा 7वीं सदी में निर्मित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर अवस्थित है, जबकि मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव के प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल है तथा मध्य प्रदेश के ही अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक नर्मदा और सोन नदियों का उद्गम है। यहाँ शिव का प्रसिद्ध ज्वालेश्वर मंदिर अवस्थित है।
8. (A): 1206 से 1210 ई. के मध्य में दिल्ली पर गुलाम वंश के सुल्तानों का शासन था। कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210 ई.) दिल्ली का पहला तुर्क शासक और तुर्क राज्य का संस्थापक माना जाता है। मुहम्मद गोरी ने भारतीय प्रदेश की विजय करके उन्हें अपने दास कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता में रख दिया था। 1206 ई. में उसकी मृत्यु के बाद ऐबक दिल्ली का पहला तुर्क शासक बना। दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान की उपाधि लेने वाला शासक इल्तुतमिश था।
9. (A): मुहम्मद बिन तुगलक एक अग्रगामी सोच वाला शासक था जिसने सल्तनत काल के विकास के लिए जहाँ एक तरफ कई नये प्रयोग किये, वहीं प्रचलित पद्धतियों में भी आमूल-चूल सुधार किये। इन्हीं सुधारों में से एक था दीवाने-कोही की स्थापना। इस संस्था की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य राज्य की सहायता से कृषि योग्य भूमि का विकास एवम् विस्तार करना था। इस विभाग का प्रमुख पदाधिकारी दीवान-ए-अमीर-कोही था।
10. (B): काश्मीर के महान शासक (वुडशाह) जैनुल आबिदीन (1420-1470 ई.) द्वारा निर्मित काश्मीर की जामा मस्जिद में बुर्ज, बौद्ध पगोड़ाओं से समानता तथा फारसी शैली तीनों विशेषताओं का प्रभाव प्रचुरता में दिखाई देता है। इसने अपने पिता (सिकन्दरशाह) के बिल्कुल विपरीत उदार, जनकल्याणकारी और सहिष्णुतावादी नीतियों का अनुसरण किया। इसने जजिया कर हटा दिया। गोहत्या निषिद्ध कर दिया। हिन्दुओं की भावनाओं का आदर करते हुए सती प्रथा पर से प्रतिबन्ध हटा दिया। वह काश्मीरी, फारसी, संस्कृत एवं अरबी भाषा का विद्वान था। वह `कुतुब' उपनाम से फारसी में कविताएँ भी लिखता था। उसकी उदार नीतियों के कारण उसे `काश्मीर का अकबर' तथा सुदृढ़ र्आिथक व्यवस्था के कारण उसे `काश्मीर का अलाउद्दीन खिलजी' कहा जाता है।
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