प्रतिदिन 10 प्रश्न और उत्तर (Q & A),(26-12-2022)


प्रश्न-


1.  पूर्व पाषाण कालीन मानव का मुख्य धंधा था :
(a) कृषि (b) मिट्टी के बर्तन बनाना
(c) पशुपालन (d) शिकार खेलना

2. नीचे दो वाक्यांश दिये हैं -
कथन (A) : मोहनजोदडों तथा हड़प्पा नगर अब विलुप्त हो गये हैं।
कारण (R) : वह खुदाई के दौरान प्रकट हुये थे।
उपर्युक्त के संदर्भ में निम्न में से कौन एक सही है?
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R) सही स्पष्टीकरण है (a) का
(b)  (A) और (R) दोनों सही हैं, किन्तु (R) सही स्पष्टीकरण नहीं है (A) का
(c)  (A) सही है, किन्तु (R) गलत
(d)  (A) गलत है, किन्तु (R) सही है

3. ‘राजसूय’ से सम्बन्धित अनुष्ठानों का वर्णन है :
(a) ऋग्वेद में (b) यजुर्वेद में
(c) सामवेद में (d) अथर्ववेद में

4. धर्मशास्त्रों में भू-राजस्व की दर क्या है?
(a) 1/3  (b)   1/4
(c)  1/6 (d)    1/8

5. निम्नलिखित वक्तव्यों पर विचार कीजिए- 
कथन- A: बुद्ध पुनर्जन्म के सिद्धान्त में विश्वास नहीं करते थे।
कारण- R: बुद्ध ने नित्य आत्मा में अस्तित्व सम्बन्धी विचार को अस्वीकार कर दिया था।
 नीचे दिये हुए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
कूट:
(a) A और R दोनों सही है, और R, A का सही स्पष्टीकरण है
(b) A और R दोनों सही है, और R, A का सही स्पष्टीकरण नही है
(c) A सही है, परन्तु R गलत है
(d) A गलत है, परन्तु R सही है

6.  वह यूनानी शासक जिसको चन्द्रगुप्त मौर्य ने पराजित किया था कहाँ से शासन कर रहा था?
(a) मिश्र (b) सीरिया
(c) मकदूनिया (d) एथेन्स

7. सूची-I को सूची-II से सुमेलित करें तथा नीचे दिए गए वूâट से सही उत्तर ज्ञात करें –
   सूची-I           सूची-II 
 (स्थान)             (स्मारक)
A. एलीफेन्टा       1. स्तूप
B. श्रवणबेलगोला      2. मन्दिर 
C. खजुराहो        3. गुफा
D. साँची                 4. मूर्ति
कूट :
A B C D A B C D
(a) 2 4 3 1 (b) 3 4 2 1
(c) 2 4 1 3 (d) 3 2 4 1

8. निजामुद्दीन जुनेदी वजीर था–
(a) मुइजुद्दीन गोरी का (b) कुत्बुद्दीन ऐबक का
(c) इल्तुतमिश का        (d) बलबन का

9. ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद में प्रयुक्त प्रस्तर खण्डों में निम्न में से किस नाटक के अंश अंकित हैं?
(a) सारिपुत्र प्रकरण     (b) प्रबोध चन्द्रोदय
(c) मालती -माधव      (d) रकेलि

10. जौनपुर राज्य का अन्तिम शासक कौन था?
(a) मुहम्मद शाह  (b) हुसैन शाह 
(c) मुबारक शाह (d) इब्राहिम शाह





उत्तर-



1. (D): पूर्वपाषाणकालीन मनुष्य का जीवन पूर्णतया प्राकृतिक था। वे प्रधानत: आखेट पर निर्भर थे। उनका भोजन मांस या कन्दमूल हुआ करता था। अग्नि के प्रयोग से अपरिचित रहने के कारण वे मांस कच्चा खाते थे। उनके पास कोई निश्चित निवास-स्थान भी नहीं था तथा उनका जीवन खानाबदोश अथवा घुमक्कड़ था। सभ्यता के इस आदिम युग में मनुष्य कृषि कर्म या पशुपालन से परिचित नहीं था और न ही वह बर्तनों का निर्माण करना जानता था। इस काल का मानव केवल खाद्य पदार्थों का उपभोक्ता ही था। वह अभी तक उत्पादक नहीं बन सका था। मनुष्य तथा जंगली जीवों के रहन-सहन में कोई अन्तर नहीं था। पाषाणकालीन मानव को कृषि एवं अग्नि का ज्ञान नवपाषाण काल में हुआ।

2. (B): मोहनजोदड़ो की खोज उत्खनन के दौरान राखालदास बनर्जी ने की थी जो वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाएं तट पर तथा हड़प्पा की खोज उत्खनन के दौरान दयाराम साहनी ने की थी। जो वर्तमान के पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल (मांटगोमरी) जिले के रावी नदी के बाएँ तट पर स्थित है। वर्तमान में नगर मृत प्राय (विलुप्त) स्थिति में है। इस प्रकार कथन और कारण दोनों सही है किन्तु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं करता। अत: विकल्प (B) सही उत्तर है।

3. (B): ‘यजुष’ का शाब्दिक अर्थ है-यज्ञ, पूजा, श्राद्ध, आदर आदि। इस वेद के मन्त्रों का पाठ यज्ञ में अध्वर्यु नामक पुरोहित वर्ग करता है। इसकी वाजसनेयी संहिता में 40 अध्याय है। प्रारम्भ के 25 अध्याय विषय वस्तु की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। प्रथम और द्वितीय अध्याय में ‘दर्श’ एवं ‘पौर्णमास’ यज्ञों के मन्त्र संकलित हैं। तृतीय अध्याय में दैनिक ‘अग्निहोत्र’ तथा ‘चातुर्मास्य’ यज्ञ के मंत्रों का संग्रह है। चतुर्थ से अष्टम अध्याय पर्यन्त ‘अग्निष्टोमादि’ सोमयज्ञों एवं पशुबलि से सम्बन्धित मन्त्र प्राप्त होते हैं। कतिपय एक दिन में समाप्त होने वाले यज्ञ भी सोमयज्ञों की परम्परा में प्राप्त है। इनमें वाजपेय यज्ञ सर्वप्रधान है। सोमयज्ञों की ही परम्परा में राजाओं द्वारा सम्पाद्य राजसूय यज्ञ भी है। वाजपेय एवं राजसूय यज्ञों की प्रार्थनाएं वाजसनेयी संहिता के नवम तथा दशम अध्याय में की गई है।
ध्यातव्य है कि ऋग्वैदिक धर्म में देवताओं की कृपा या उनसे वरदान प्राप्त करने के लिए यज्ञ करके देवताओं की पूजा की जाती थी। यज्ञों में दी जाने वाली बलि दूध, अन्न, घी, मांस तथा सोम की होती थी। ऋग्वेद में केवल सोम यज्ञ का ही विशद उल्लेख है।

4. (C): धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि राजा अपने द्वारा किये गये कार्योें– सामान्यजन की सुरक्षा और कल्याणकारी सेवा आदि, के बदले उपज का छठवां हिस्सा अपनी वृत्ति के रूप में प्राप्त करेगा।

5. (D): महात्मा बुद्ध ने सृष्टि की सभी वस्तुओं को अनित्य बताते हुए नित्य आत्मा के अस्तित्व को नकार दिया। महात्मा बुद्ध ने अहिंसा तथा सदाचार पर बल दिया है और कर्मवाद, पुर्नजन्म एवं मोक्ष में विश्वास किया है। निर्वाण द्वारा जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाना। यह निर्वाण इसी जन्म से प्राप्त हो सकता है, किन्तु महापरिनिर्वाण मृत्यु के बाद ही सम्भव है। अत: पुर्न:जन्म को मानते थे।

6. (B): यूनानी शासक सेल्युकस चन्द्रगुप्त मौर्य से पराजित हुआ, जो सीरिया का शासक था। सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात् उसके पूर्वी प्रदेशों का उत्तराधिकारी सेल्युकस था। सेल्युकस ने वेविलोन तथा बैक्ट्रिया को जीतकर पर्याप्त शक्ति आर्जित कर ली थी। उधर चन्द्रगुप्त मौर्य अपने साम्राज्य निर्माण में व्यस्त था। 305 ई. पू. के आस-पास सेल्युकस जो इस समय सीरिया से शासन कर रहा था, अपने पूर्वी अभियान के क्रम में सिन्धु नदी को पार कर चन्द्रगुप्त से आ टकराया। हालांकि किसी भी स्रोत से दोनों के बीच युद्ध का कोई विवरण नहीं मिलता। लेकिन दोनों के बीच सन्धि तथा वैवाहिक सम्बन्धों की स्थापना का उल्लेख मिलता है। इस विवरण से यही स्पष्ट होता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस को पराजित किया था।

7. (B): एलीफैन्टा - महाराष्ट्र राज्य में मुम्बई से समुद्र में 7 मील उत्तर-पूर्व की दूरी पर एलीफैन्टा नामक छोटा सा द्वीप है। यहाँ दो पहाडि़याँ हैं जिनके बीच संकरी घाटी है। इसमें पाँच गुफाएं प्राप्त होती हैं। यहाँ हिन्दू धर्म से संबंधित मूर्तियाँ हैं। खजुराहो - म. प्र. के छतरपुर जिले में स्थित है यहाँ 10वीं-11वीं सदी का मंदिर है जो जैन तथा हिन्दू धर्म से संबंधित है। श्रवणबेलगोला - मैसूर (कर्नाटक) की चन्द्रगिरि तथा इंद्रगिरि पहाडि़यों के बीच यह ऐतिहासिक स्थल है। 10 वीं सदी में गंग शासकों ने यहाँ 57 फीट ऊँची गोमतेश्वर की विशाल पाषाण प्रतिमा र्नििमत करवायी है। साँची म. प्र. के रायसेन जिले में स्थित साँची में प्रमुख स्तूपों की संख्या तीन है। सबसे बड़ा स्तूप महास्तूप के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्तूप का ढाँचा तीसरी शताब्दी ई. पू. में अशोक द्वारा बनाया गया, तत्पश्चात् शुंग शासकों द्वारा इसको विस्तृत किया गया।

8. (C): निजामुद्दीन जुनेदी इल्तुतमिश का वजीर और एक योग्य प्रशासक था। इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद जुनैदी उसके पुत्र फिरोज का भी वजीर नियुक्त हुआ था। जब रजिया नाममात्र की शासक हुई तो जुनैदी ने उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचा तथा उसका विरोध किया। किन्तु अन्तत: इस गुट की पराजय हुई। जुनैदी के स्थान पर अपने विश्वासपात्र ख्वाजा मुहाजबुद्दीन को रजिया ने अपना वजीर बनाया।

9. (D): ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ अजमेर में स्थित है। पूर्व में यह एक संस्कृत विद्यालय था जिसका निर्माण विग्रह राज ने करवाया था। इस पर संस्कृत नाटक हरकेलि के कुछ अंश अंकित हैं। इस इमारत के ऊपरी भाग को तोड़कर कुतुबुद्दीन ऐबक ने ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ बनवाया था। इसके अतिरिक्त ऐबक ने दिल्ली में राय पिथौरा के निकट ‘‘कुव्वत-उल-इस्लाम’’ नाम की मस्जिद तथा दिल्ली की कुतुबमीनार को बनवाना प्रारम्भ किया था। ऐबक द्वारा बनवायी गयी मस्जिदों में हिन्दू और मुस्लिम कला का सामंजस्य है। बाद में विभिन्न सुल्तानों ने इसमें परिवर्तन किये। इल्तुतमिश ने अढ़ाई दिन का झोपड़ा और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिदों का विस्तार किया था।

10. (B): 1359 ई. फिरोज तुगलक ने अपने भाई मुहम्मद बिन तुगलक (जूना खाँ) की स्मृति में जौनपुर नगर की स्थापना की, जो बाद में शर्की साम्राज्य की राजधानी बना। शर्की साम्राज्य की स्थापना फिरोज तुगलक के एक हिजड़े (ख्वाजा सरा) मलिक सरवर ने की थी। जौनपुर का अंतिम शासक हुसैन शाह शर्की था, जिसे सुल्तान सिकन्दर लोदी ने पराजित करके जौनपुर पर अधिकार कर लिया। पराजित हुसैन शाह ने बंगाल के सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह (1493-1518) के यहाँ शरण ली। 1505 में हुसैन शाह की बंगाल में मृत्यु हो गई।

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