- हाल ही में दूरसंचार विभाग (DoT) ने इंटरनेट आधारित ओवर-द-टॉप (OTT) दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिये भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022 जारी किया।
- मसौदा विधेयक तीन अलग-अलग अधिनियमों को समेकित करता है जो वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं जिसमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम, 1950 शामिल हैं।
- दूरसंचार विभाग ने सेवा प्रदाताओं को नए लाइसेंस जारी करने पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की कुछ महत्त्त्वपूर्ण शक्तियों और ज़िम्मेदारियों को कम करने का भी प्रस्ताव दिया है।
- सरकार ने इंटरनेट आधारित और OTT संचार सेवाओं जैसे- व्हाट्सएप कॉल, फेसटाइम, गूगल मीट आदि को दूरसंचार सेवाओं के तहत शामिल किया है।
- यह मांग एक समान अवसर प्रदान करने के लिये दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी। फिलहाल जहाँ टेलीकॉम कंपनियों को सेवाएँ देने के लिये लाइसेंस की ज़रूरत होती है, जबकि OTT प्लेटफॉर्म को नहीं।
- इसके अलावा OTT को दूरसंचार सेवाओं के दायरे में लाने का मतलब है कि OTT और इंटरनेट आधारित संचार सेवाएँ प्रदान करने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
- दूरसंचार मंत्रालय ने किसी दूरसंचार या इंटरनेट प्रदाता द्वारा अपना लाइसेंस सरेंडर करने की स्थिति में शुल्क वापसी का प्रावधान प्रस्तावित किया है।
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