- डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया है।
- यह एक महत्वपूर्ण रक्षा और प्रौद्योगिकी विकास की उपलब्धि है और भारत के मिसाइल कार्यक्रम के लिए एक बड़ा कदम है।
- हाइपरसोनिक मिसाइल को सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षमता के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न प्रकार के पेलोड (जैसे कि पारंपरिक या आणविक वारहेड्स) ले जाने में सक्षम है।
- यह मिसाइल हाइपरसोनिक गति (ध्वनि की गति से पाँच गुना या उससे अधिक) से यात्रा करती है, जिससे इसे मिसाइल रक्षा तंत्र से बचना और दुश्मन के खिलाफ तेज़ और प्रभावी हमला करना बहुत आसान हो जाता है।
- उच्च गति: हाइपरसोनिक मिसाइलों की गति मच 5 (5 गुना ध्वनि की गति) से अधिक होती है, जो इन्हें पारंपरिक मिसाइलों के मुकाबले बहुत तेज़ बनाती है। इतनी उच्च गति के कारण, इसे एंटी-मिसाइल रक्षा तंत्र से रोकना मुश्किल होता है।
- लंबी दूरी: यह मिसाइल 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक सटीकता से अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है, जो इसे दूर स्थित लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए एक सशक्त हथियार बनाती है।
- लचीलापन: हाइपरसोनिक मिसाइलों को विभिन्न प्रकार के पेलोड जैसे conventional warheads, nuclear warheads, या अन्य विशेष payloads ले जाने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है। इससे इन्हें कई प्रकार के सैन्य अभियानों में उपयोग किया जा सकता है।
- कम ऊंचाई पर उड़ान: हाइपरसोनिक मिसाइलों की एक और विशेषता यह है कि ये अपनी यात्रा के दौरान कम ऊंचाई पर उड़ान भर सकती हैं, जिससे इन्हें दुश्मन के रडार से बचने में मदद मिलती है और मार्ग में तेजी से बदलाव किया जा सकता है।
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